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देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक ताज-उल-मस्जिद, जिसका नाम ही बाकी मस्जिदों के बीच इसका रुतबा ज़ाहिर करता है, 23,912 वर्ग फुट के क्षेत्र में विस्तृत है। यह मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद के सदृश प्रतीत होता है। इस भवन की प्रमुख विशेषताओं में एक विस्तृत गुलाबी अग्रभाग, विशाल आंगन, चिकने संगमरमर से बना फर्श और घुमावदार छत शामिल हैं। इस मस्जिद की मीनारें 67 मीटर ऊँचीं हैं, और इसमें 27 घुमावदार छतें हैं, जिनमें से 16 पंखुड़ियों की आकृतियों द्वारा सुसज्जित हैं। पहले हर साल ताज-उल-मस्जिद में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया जाता था, लेकिन अब इसे इस्लाम नगर में स्थानांतरित कर दिया गया है क्योंकि इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि इतनी बड़ी मस्जिद भी इसके लिए छोटी पड़ती जा रही थी।
इसका निर्माण नवाब शाहजहाँ बेगम (1868-1901) द्वारा शुरू किया गया था। उनकी बेटी, सुल्तान जहाँ बेगम ने जीवन भर इसका निर्माण जारी रखा। दशकों तक निष्क्रिय अवस्था में रहने के बाद इसका निर्माण 1971 में एक बार फिर शुरू हुआ और 1985 में समाप्त हुआ।