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ऐतिहासिक स्मारकों एवं बागों से घिरे महलों व किलों का शहर, जो राजपूत राजाओं की भव्यता की गवाही देता है, जयपुर भारत के राजसी विरासत का प्रवेशद्वार है। राजस्थान की राजधानी जो गुलाबी नगरी भी कहलाती है, अपने में प्राचीनता को समेटे हुए है। इसकी विरासत भव्य हवा महल में संरक्षित है, जो जौहरी बाज़ार की अतिव्यस्ततम गलियों में शान से खड़ा है। सिटी सेंटर, जहां आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न सिनेमाघर/मूवी थियेटर, रेस्तरां, मल्टीप्लेक्स, संग्रहालय एवं बाग हैं, उससे कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों पर स्थित किले पहले से ही जयपुर के प्रहरी के रूप में विद्यमान हैं। इन किलों में सबसे बड़ा एवं बहुत प्रभावित करने वाला आमेर किला है, जो अपनी किलेबंदी और भव्यता से किसी को प्रभावित कर सकता है।
महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा 1727 ईस्वीं में स्थापित जयपुर, राजपूतों का प्रमुख गढ़ था, जिन्होंने विभिन्न विरासत स्थल, कला एवं शिल्प, पाकला इत्यादि के रूप में इस शहर की चिरस्थाई विरासत में योगदान दिया। पारंपरिक राजस्थानी व्यंजनों, जिनमें लाल मास, दाल-बाटी-चूरमा, केर सांगरी और अन्य अनगिनत पकवान ऐसे हैं जो भारत की पाककला संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं। फर्श पर चटाई बिछाकर उस पर चैकड़ी मारकर बैठकर तथा वैभवशाली थाली जिसमें 20 प्रकार के पकवान होते हैं, राजस्थानी तरीके से इन व्यंजनों का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है।
यद्यपि कोई भी पर्यटक के रूप में इस शहर में देखने लायक विभिन्न स्थलों का आनंद प्राप्त कर सकता है किंतु जयपुर में आदर-सत्कार की भावना के अतिरिक्त जो विशेषता वास्तव में प्रभावित करती है, वह उसके निवासियों की गर्मजोशी है। सत्कार की इस संस्कृति के प्रतीक के रूप में महाराजा राम सिंह के शासनकाल में 1876 में शहर के पुराने हिस्से को गुलाबी रंग में रंगा गया था। यद्यपि यह कार्य अंग्रेज़ों के राज में हुआ था, जब वेल्स के युवराज भारत आए थे। इनमें से अनेक घर आज भी इसी रंग में रंगे खड़े हैं, जो ‘पधारो म्हारे देश’ का प्रमुख संदेश देते प्रतीत होते हैं।
जयपुर 18वीं सदी के आरंभ में वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य द्वारा योजनाबद्ध किया गया। अपनी शाही विरासत से परिपूर्ण यह शहर, बीते वर्षों में अनेक गतिविधियों वाले महानगर में बदल गया है। यद्यपि पुराने शहर का आकर्षण आज भी बरकरार है। ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात् जयपुर एवं बीकानेर, जैसलमेर तथा जोधपुर रियासतें एक साथ मिल गईं, जिससे वर्तमान राजस्थान का उदय हुआ। जयपुर को इस राज्य की राजधानी बनाया गया। आज, देश में मानव-निर्मित सबसे शानदार भवन इसी शहर में हैं। इनमें अनेक स्मारक एवं किले शामिल हैं, जिनका ऐतिहासिक के साथ-साथ सांस्कृतिक महŸव भी है। शहर की रंग-बिरंगी गलियों का भ्रमण करने विश्व भर के हज़ारों पर्यटक हर वर्ष यहां आते हैं। वे यहां के लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद चखते हैं तथा समृद्ध सांस्कृतिक का अनुभव प्राप्त करते हैं। उन्हें शहर के हर एक कोने में पारंपरिक एवं आधुनिकता का सुखद मिश्रण देखने को मिलता है। शहर की सुंदरता को विकृत किए बिना नए माॅल के साथ पुरानी दुकानें विद्यमान हैं।
अनेक भावों एवं रंगों की दृश्यावली वाला जयपुर, ख़रीदारी का भी एक आकर्षक गंतव्य है। यहां पर रंगीन कठपुतलियों व बांधनी साड़ियों से लेकर चांदी के आभूषण व लाख की चूड़ियांे तक तथा छोटे आभूषण एवं स्मृति-चि∫न बहुत कुछ मिलता है, जिन्हें आप अनेक संस्मरणों के साथ अपने घर ले जा सकते हैं!
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