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ऊटकमुंड, तमिलनाडु की सबसे ऊंची चोटी, डोड्डाबेट्टा (2,637 मीटर) की पृष्ठभूमि में स्थित एक अनोखा पहाड़ी शहर है। यह पारंपरिक और औपनिवेशिक शैली की इमारतों से सुसज्जित है, जो नई और पुरानी वास्तुकला का संगम लगती हैं। नीला आसमान, हरी भरी पहाड़ियां, हरी भरी घाटियां और सुहावना मौसम नीलगिरि (ब्लू माउंटेन) के इस रत्न को दक्षिण भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं। कॉफी और चाय के बागान, यूकेलिप्टस वृक्ष, शंकुधारी और चीड़ के वृक्षों से आच्छादित जंगल, शोला के पेड़ों का घना आवरण, ऊटकमुंड को प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग बनाते हैं। इसकी सुंदरता की ऐसी महिमा है कि इसे 'पहाड़ों की रानी' और 'भारत के स्विट्जरलैंड' के रूप में जाना जाता है।
ब्रिटिश जमाने में यह अंग्रेजों के ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए लोकप्रिय था। यह ब्रिटिश भारत में मद्रास प्रेसीडेंसी की राजधानी भी थी। ऊटकमुंड या ऊटी का पुराना नाम उधगमंडलम था। औपनिवेशिक विरासत के कारण यहां वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने देखने को मिलते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है, राजभवन या सरकारी निवास। यह क्रीम रंग का विशाल बंगला है, जिसमें एक भव्य बॉलरूम भी है। यह ब्रिटिशकालीन मद्रास के गर्वनर का निवास हुआ करता था। आसपास के पर्यटकों को यह राजभवन खासा आकर्षित करता है।
इस अनोखे पहाड़ी शहर में घूमने का सबसे अच्छा तरीका टॉय ट्रेन है, जो एशिया की सबसे तीव्र ढलान वाली पटरियों पर चलती है। यह ट्रेन 1,069 फीट से 7,228 फीट की ऊंचाई पर चलती हुई, कई लुभावने और सुरम्य स्थलों से गुज़रती है। पर्यटक इस ट्रेन से चट्टानी इलाकों, बीहड़ और हरी-भरी पहाड़ियों के शानदार नज़ारों का मज़ा ले सकते हैं। यह टॉय ट्रेन कुछ दर्शनीय स्थलों जैसे कुन्नूर, वेलिंगटन और लॉवडेल से होकर गुजरती है।
ऊटी में मुख्य रूप से टोडा जनजाति का निवास है। वे सदियों से इस क्षेत्र को अपना घर कहते आ रहे हैं।
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