डमबूर झील

डमबूर झील अगरतला की राजधानी शहर से लगभग 120 किलोमीटर दूर अमरपुर उप प्रभाग में स्थित है। इसका आकार एक पतले डमरू की तरह है और इसीलिए भगवान शिव के डमरू के नाम पर इसका नाम डमबूर झील रखा गया है। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है क्योंकि लगभग 41 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली हुई यह झील चारों ओर से खूबसूरत पहाड़ियों और हरे-भरे परिदृश्य से आच्छादित 48 छोटे द्वीपों से घिरी हुई है। यह राइमा और सरमा नदियों के संगम पर स्थित है और प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर की तरह है, जो यहाँ ज्यादातर सर्दियों के दौरान दिखाई देते हैं। झील के पास एक जल विद्युत परियोजना स्थित है, जहाँ से गोमती नदी का उद्गम होता है। इस स्थान को तीर्थमुख कहा जाता है और यह 14 जनवरी को प्रतिवर्ष यहां आयोजित होने वाले पौष संक्रांति मेले के लिए प्रसिद्ध है।

डमबूर झील

उनाकोटि

अगरतला से लगभग 178 किमी दूर स्थित उनाकोटि एक सदियों पुराना शैव तीर्थ स्थान है, जो कि देश की किसी भी अन्य तीर्थस्थली की तुलना में अपनी भव्यता और कलात्मकता के कारण विलक्षण है। इस स्थान पर हिंदू देवी-देवताओं की बहुत सी अद्भुत मूर्तियां स्थित हैं, जिनमें शास्त्रीय भारतीय शैली की देशज आदिवासी परंपराएँ दृष्टिगोचर होती हैं। उनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण भगवान शिव के सिर की 33 फुट ऊंची मूर्ति है, जिनके इस रूप को उनाकोटीश्वर काल भैरव के नाम से जाना जाता है। इसे और अधिक आकर्षक बनाता है 10 फ़ीट ऊँचा एक साफ़ा जिसके एक तरफ़ युद्धरत माँ दुर्गा और दूसरी तरफ मकरासन पर विराजमान देवी गंगा स्थित हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यद्यपि यहाँ शिव पंथ का प्रमुख प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, फिर भी यहाँ स्थापित दैवीय मूर्तियां यहाँ की आध्यात्मिक मान्यताओं पर तांत्रिक, शाक्त और हठ योगियों के प्रभाव की गवाही देती हैं। यह माना जाता है कि इस स्थल का जीवंत काल 12 वीं और 16 वीं शताब्दी के बीच की अवधि में रहा होगा, और यहाँ स्थापित मूर्तियां दो विभिन्न कलात्मक कालखंडों से सम्बद्ध हैं।

उनाकोटि

जम्पुई हिल

जम्पुई हिल त्रिपुरा में स्थित एक लोकप्रिय पर्वतीय स्थल है, जो समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अनन्त वसंत की भूमि के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान चटगाँव की पहाड़ियों, कंचनपुर-दसदा घाटी और त्रिपुरा और मिज़ोरम की विविध पहाड़ी श्रृंखलाओं के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ स्थित संतरे के खेतों, चाय के बागानों और हरे-भरे मैदानों को देखते हुए पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी पर्यटक यहाँ इसलिए भी आते हैं क्योंकि यह सबसे अच्छे शिविर स्थलों में से एक है और पर्वतारोहण के लिए भी आदर्श स्थान है। यहाँ की पहाड़ियों की ढलानों पर संतरे के अनेकों विस्तृत खेत स्थित हैं, जहां से गुज़रते समय आगंतुक हवा में फैली हुई इन फलों की मीठी गंध को महसूस कर सकते हैं। जम्पुई हिल की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा है क्योंकि हर साल नवंबर में यहां संतरा एवं पर्यटन उत्सव आयोजित किया जाता है। इस उत्सव के दौरान, संतरों से बनी विभिन्न वन्यजीवों और देश के प्रख्यात किलों की आकृतियों को प्रदर्शित किया जाता है। इसके अतिरिक्त तिब्बती हस्तशिल्प, चाय की पत्तियाँ, संतरे और कॉफी बीन्स इस उत्सव के दौरान स्टालों में बेची जाने वाली कुछ प्रमुख वस्तुएं हैं। जम्पुई हिल अगरतला से लगभग 200 किमी दूर स्थित है।

जम्पुई हिल