मुसलमान मुहर्रम को नववर्ष के पहले दिन के रूप में मनाते हैं। वहीं शिया सम्प्रदाय के लोग इस दिन मातम मनाते हैं। उनका मानना है कि 680 ईस्वी में करबला में पैगम्बर मोहम्मद साहब के पौत्र तथा अली के पुत्र हुसैन इब्ने अली इसी दिन शहीद हुए थे। मुहर्रम का दसवां दिन, जो अशुरा कहलाता है, वह शिया सम्प्रदाय के लोगों के लिए बहुत अहम होता है। वे हुसैन की महान शहादत के सम्मान में जुलूस तथा ताज़िए निकालते हैं।