एक पारंपरिक कला का रूप पट्टचित्र, धार्मिक विषयों पर की गई सूक्ष्म चित्रकारी (मिनिएचर पेंटिंग) है। विशेष तरीके से बनाये गये गए कपड़े, जिसे पट्ट कहा जाता है, पर हिंदू महाकाव्यों और हिंदू देवी-देवताओं के किंवदंतियों की कहानियां चित्रित की जाती हैं। शब्द 'पट्टचित्र' का शाब्दिक अर्थ है एक कपड़े का टुकड़ा जिस पर चित्र बनाया हुआ हो। चमकीले रंगों और जटिल विवरणों के साथ बनाये इन चित्रों का उपयोग, दीवार की सजावट की वस्तुओं के रूप में किया जा सकता है। पुरी के बाहरी इलाके में स्थित, रघुराजपुर और दंडासाही गांवों में व्यापक रूप से प्रचलित ये पट्टचित्र कला, इस स्थान के पर्याय बन गए हैं।

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