सन् 1950 के दशक में मांसाहारियों के अधिकांश व्यंजनों का मूलए दरिया गंज का मोती महल हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि यह जगह पहले से ही तंदूरी चिकन प्रेमियों के बीच लोकप्रिय था। यहां के रेस्तत्रां के रसोइये बचे हुए चिकन की तरी के पुनः उपयोग करने की आदत थीए और इसके लिये वे इसमें मक्खन और टमाटर मिला दिया करते थे। और इस तरह बने सॉस में तंदूरी चिकन के टुकड़ों के साथ पका दिया जाता था और इस प्रकार स्वादिष्ट बटर चिकन अस्तित्व में आयाए जिसके स्वाद ने पूरे विश्व के लोगो के मुंह से लार टपका दी। यह मलाईदार लाल टमाटर की ग्रेवी थोड़ी गाढ़ी होती है और स्वाद में यह थोड़ा मीठा होता है। यह पकवान मुंह में डालते ही पिघल जाता हैए क्योंकि इसकी तरी चिकन टुकड़ों में अच्छी तरह से रिस जाती हैए जिसकी वजह से चिकन के टुकड़े तर और नरम हो जाते है। इसे नान या रोटी के साथ खाने में सबसे ज्यादा मजा आता है।

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